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निर्यात क्या हैं? हमे निर्यात क्यों करना चाहिए।

What is export in Hindi?

आज विश्व में विदेशी व्यापार का महत्त्व पहले से कही गुना अधिक बढ़ गया हैं। किसी भी देश की आर्थिक अर्थव्यवस्था के लिए निर्यात अत्यधिक आवश्यक होता हैं। हर देश अपने व्यापारियों को निर्यात करने के लिए प्रेरित करता हैं और उनकी सहायता भी करता हैं।

पिछले कुछ सालो में भारतीय अर्थव्यवस्था के आयात और निर्यात में काफी तेजी देखने को मिली हैं। और विदेशी व्यापार करने वाले व्यक्तियों, कंपनियों तथा संगठनों को सरकार पर्याप्त नीतिगत ढांचा, सहायता और प्रोत्साहन प्रदान कर रही है।

सरकार व्यापार बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचा मुहैया कराने, विदेशी सरकारों और अंतरराष्ट्रीय व्यापार संगठनों को इसमें शामिल करने में अहम भूमिका निभा रही है। जिससे भारतीय व्यापारियों को व्यापार के लिए समान स्तर व अवसर मिल सकें।

किंतु सामान्य रूप से लोगो में निर्यात के बारे मे अत्यधिक ज्ञान न होने के कारण वह इस क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ पाते हैं। और अपने व्यापार को बढ़ावा नही दे पाते हैं।

अगर आप भी निर्यात के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस लेख में आप निर्यात के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे।

जैसा कि आप जानते हैं हर व्यापारी का सपना होता हैं कि वह अपने व्यापार का विस्तार देश विदेश तक करे। और आज हम उनके सपनों को एक कदम आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।

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निर्यात क्या हैं?

किसी भी देश के व्यापार द्वारा अपने देश में घरेलू रूप से उत्पादित या निर्मित वस्तु और सेवा को किसी अन्य देश में विक्रय करना निर्यात कहलाता हैं। इस प्रकार के देश या व्यापारी को निर्यातक कहा जाता हैं।

निर्यात कितने प्रकार के होते हैं?

निर्यात मुख्यतः दो प्रकार का होता हैं।

  • प्रत्यक्ष निर्यात
  • अप्रत्यक्ष निर्यात

प्रत्यक्ष निर्यात

किसी भी तरह के माध्यम का उपयोग किए बिना कोई व्यापार अपनी वस्तु या सेवा को सीधे विदेशी बाजार में बेचती हैं। और उसके भुगतान के लिए खुद जिम्मेदार होती हैं। वह प्रत्यक्ष निर्यात होता हैं।

कोई भी व्यापार अपनी वस्तु या सेवा को किसी भी प्रत्यक्ष स्थिति में निर्यात कर सकता हैं। जैसे विदेश में बिक्री प्रतिनिधि नियुक्त करना या विदेश में बिक्री शाखा खोलना।

अप्रत्यक्ष निर्यात

जिस व्यापार में किसी भी वस्तु या सेवा की बिक्री के लिए किसी माध्यम का उपयोग किया जाता हैं। जो वस्तु की बिक्री से लेकर उसके भुगतान तक के लिए जिम्मेदार होता हैं। वह अप्रत्यक्ष निर्यात कहलाता हैं।

यह माध्यम किसी भी रूप से शामिल हो सकता हैं। और वस्तु और सेवा का प्रतिनिधित्व करता हैं। इसमें निर्यात प्रबंधन कंपनी और सहकारी संस्था भी शामिल हो सकती हैं।

अप्रत्यक्ष निर्यात को दो तरह से किया जा सकता हैं।

  • कंपनी किसी विशेष बाजार के लिए अपने उत्पाद या सेवा के निर्यात का विस्तार करने की प्रतिबद्धता बनाती हैं।
  • कंपनी किसी भी विदेश के आदेश या अपनी पहल पर निर्यात करती हैं। जिसे एक तरह से प्रासंगिक निर्यात भी कहा जा सकता हैं।

आपको निर्यात क्यों करना चाहिए?

हर व्यापारी अपने व्यापार को हमेशा बढ़ाने की कोशिश करते हैं। जिसके लिए उसे अधिक बाजार की आवश्यकता होती हैं। इसके लिए वह निर्यात की और जाता हैं। और विश्व के बाजार से जुड़ता हैं।

इससे अधिक लाभ होता हैं। और सरकार से भी कर में कटौती मिलती हैं। इसके अलावा अपने देश में विदेशी मुद्रा का आगमन होता हैं। जिससे देश की आर्थिक अर्थव्यवस्था में वृद्धि होती हैं।

इसके अतरिक्त आपको नए विचारों और प्रथाओं को जानने का अवसर मिलता हैं। जिससे आप एक अच्छे प्रतिस्पर्धी बन अपनी दक्षता बढ़ा सकते हैं।

ज्यादा बाजार मिलने से आपके उत्पाद में वृद्धि होती हैं। और आप एक बाजार पर निर्भर नही रहते हैं। जिससे हानि का जोखिम कम हो जाता हैं।

निर्यात कैसे करें?

निर्यात की शुरुआत करना कोई मुश्किल काम नहीं है। हालाकि शुरुआत में खरीददार और दस्तावेज को लेकर समस्या उत्पन्न हो सकती हैं। लेकिन समय के साथ आपका व्यापार और अनुभव दोनो बढ़ता जाता हैं।

किसी भी व्यक्ति को निर्यात की शुरुआत करने से पहले कुछ बुनियादी चीजों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

अगर आप के पास पहले से कोई भी व्यापार नही हैं। और आप निर्यात में आना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको उत्पाद का चयन करना होगा। या अगर आपका कोई व्यापार बना हैं और आप उसका विस्तार करने की सोच रहे हैं। तो आपको कुछ दस्तावेज की आवश्यकता होती हैं। जिससे आप निर्यात व्यापार कर सकते हैं।

सबसे पहले आपको एक व्यापार खोलने की आवश्यकता होगी। और उस व्यापार का बैंक खाता। इसके अलावा व्यापार और निर्यात करने के लिए आवश्यक दस्तावेज को पंजीकृत करना होगा।

इसके बाद आपको अपने उत्पाद से संबंधित बाजार का चयन करना होगा। फिर उस बाजार में खरीददार को ढूंढने से लेकर बातचीत करना। जिसमे नमूना, माल की लागत या बिक्री दर और जोखिम मुक्त व्यापार करना शामिल हैं।

एक बार दोनो के बीच बात होने के बाद जब आपको उत्पाद को भेजने के आदेश की पुष्टि हो जाती हैं। तब उत्पाद भेजते समय गुणवत्ता का सदैव ध्यान रखे।

इसके बाद उत्पाद को अच्छे से लेबल, पैकेजिंग, पैकिंग और मार्किंग करे। और फिर वितरण संबंधित आवश्यक दस्तावेज को पूरा करके उत्पाद को खरीददार के पास वितरित करे। अगर आप किसी सेवा का निर्यात कर रहे हैं तो आप इन सभी की आवश्यकता नहीं होती हैं।

आने वाले लेखों में हम इसके बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। जिसे आपको एक सफल निर्यातक बनने में मदद हो।

निर्यात के लिए कौन से दस्तावेजों की आवश्यकता है?

हर देश की सरकार अपने व्यापारियों को निर्यात करने के लिए एक वैश्विक संख्या जारी करती हैं। जिसकी मदद से अन्य देश उस वैश्विक संख्या के साथ व्यापार करते हैं। इस वैश्विक संख्या को अंतराष्ट्रीय निर्यात कोड कहा जाता हैं।

आपको भी व्यापार में उत्पाद को निर्यात करने के लिए अंतराष्ट्रीय निर्यात कोड की आवश्यकता होती हैं। इसके अलावा आपके पास बैंक खाता, उद्योग आधार पंजीकरण और पंजीकरण सह सदस्यता प्रमाणपत्र भी लेना होता हैं।

निर्यात में व्यापार की शुरुआत करने से लेकर खरीददार को उत्पाद या सेवा देने और भुगतान पाने तक कई दस्तावेज़ की आवश्यकता होती हैं। जिसका अपने स्थान पर अपना महत्व होता हैं।

निर्यात अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करता हैं?

किसी भी देश में निर्यात अधिक होने पर अर्थव्यवस्था पर अच्छा प्रभाव पड़ता हैं। अगर किसी देश का निर्यात अच्छा होता हैं तो इसका मतलब है कि

  • अधिक मात्रा में विदेशी मुद्रा का आगमन हो रहा हैं।
  • सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि हो रही है।
  • लोगो को रोजगार मिल रहा हैं।
  • व्यवसाय के लिए अधिक बाजार उपलब्ध हो रहे हैं।

निर्यात में सरकार का क्या योगदान होता हैं?

हर देश की सरकार अपने देश में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम आयोजित करती रहती हैं। और कई योजनाएं बनाती रहती हैं। जिससे व्यापारियों को निर्यात करने में मदद मिले।

देश की सरकार अपने देश में सफल निर्यातक बनाने के लिए निर्यात का मुफ्त या कम शुल्क का पाठ्यक्रम उपलब्ध करवाती हैं। व्यापारियों को निर्यात संबंधित जानकारी उपलब्ध करवाती हैं।

भारत सरकार की बात करे तो गत ३० वर्षो में सरकार की सभी नीतिगत पहलो में निर्यात फोकस का क्षेत्र रहा हैं। और अब मेक इन इंडिया के साथ ही निर्यात में काफी योजनाएं बनाई गई हैं। जिससे निर्यात पर घरेलू करों बोझ न पड़े।

इसके अलावा माल और सेवा कर में भी राहत मिलती हैं। तथा सरकार द्वारा निर्यात में कई प्रकार की धनवापसी के प्रावधान बनाए गए हैं। जो किसी व्यापारी को निर्यातक बनने के लिए प्रेरित करते हैं।

माल और सेवा कर (जीएसटी) बनाम निर्यात।

जीएसटी नियम के अनुसार उत्पाद या सेवा के निर्यात पर जीएसटी नही लगाया जाता हैं। जिसके अंतर्गत लगने वाले जीएसटी को duty draw back के माध्यम से वापस प्रदान किया जाता हैं।

अगर आप एक निर्यातक हैं। और खरीदे गए माल पर जीएसटी भरते हैं तो आप शून्य रेटेड आपूर्ति के लिए दो तरह से धनवापसी का दावा कर सकते हैं।

  • बांड या लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के अंतर्गत उत्पाद या सेवा की आपूर्ति करने के बाद आप कर वापसी का दावा कर सकते हैं।
  • IGST का भूगतान करते हुए माल या सेवा की आपूर्ति करने के बाद CGST अधिनियम 54 के तहत कर वापसी के लिए आवेदन कर सकते हैं।

डीम्ड एक्सपोर्ट क्या है?

सरकार, परिषद की सिफारिशों पर, माल की कुछ आपूर्ति को डीम्ड निर्यात के रूप में अधिसूचित कर सकती है। जहां आपूर्ति की गई वस्तुएं भारत नहीं छोड़ती हैं। और ऐसी आपूर्ति के लिए भुगतान भारतीय रुपये में या परिवर्तनीय विदेशी मुद्रा में प्राप्त होता है।

आसान भाषा में
भारत में किसी भी निर्यातक को निर्यात हेतु माल बनाने के लिए कच्चा माल या कोई भी सेवा को डीम्ड निर्यात कहा जा सकता हैं। यह माल अप्रत्यक्ष रूप से निर्यात करने में ही उपयोग किया जाता हैं।

निष्कर्ष

एक सफल निर्यातक बनने में कोई मुश्किल नहीं होती हैं। बस आपको कुछ बुनियादी जानकारी होना आवश्यक हैं। यदि आप निर्यातक के नियमो और व्यापार की गतिविधियों को आसानी से समझ लेते हैं तो यह आपको आसान लगता हैं।

इसी तरह के ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त करने के लिए जैन अकाउंट को फॉलो करें। लेख पसंद आया हो तो अपने मित्रो के साथ साझा करें।

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