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DSC क्या होता हैं?

Digital signature certificate in hindi

DSC के बारे में आपने पढ़ा था सुना होगा। यह अब विभिन्न अनुप्रयोगों में एक वैधानिक आवश्यकता बन चुका हैं। अगर आप व्यापार करते हैं या सनदी लेखाकार के साथ कार्य करते हैं तो आपने इसको देखा भी होगा। क्या आप जानते हैं कि DSC क्या होता हैं? और यह किस काम आता हैं?

इस लेख में हम DSC के बारे में जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करेंगे। इस लेख में आपको कई सवालों के जवाब मिल जायेगे। इसके प्रकार, उपयोग, लाभ और हानि के बारे में विस्तार से समझने का प्रयास करेंगे।

जैसा कि आप जानते हैं आज की दुनिया डिजिटल दुनिया हैं। और इंटरनेट का उपयोग अधिक हो रहा हैं। इसी के साथ आपके हस्ताक्षर को भी डिजिटल किया जा रहा हैं। जो इंटरनेट पर ऑनलाइन तरीके से उपयोग में लाया जा सके।

वैसे हस्ताक्षर तो आपने कभी न कभी किया ही होगा। सोचिए अगर आपको ऑनलाइन तरीके से कम्प्यूटर पर हस्ताक्षर करने को बोला जाए तो कैसे करें? क्या आपने कभी ऑनलाइन हस्ताक्षर किए हैं। आज के समय में संदेश या ईमेल में भी डिजीटल हस्ताक्षर करने लग गए हैं।

दरसाल व्यापारी वर्ग को हस्ताक्षर करने के लिए हर क्षेत्र के कार्यालय में समय पर पहुंचना मुश्किल हो जाता हैं। इसके अलावा लोग फर्जी हस्ताक्षर भी कर लेते हैं। इन सभी समस्या से छुटकारा पाने के लिए DSC के रूप में अनुकूल समाधान लाया गया।

DSC एक बेहतर विकल्प बन गया हैं। और कई क्षेत्र में अनिवार्य रूप से लागू भी हो गया हैं। आज हम आपको उन्हीं क्षेत्रो के बारे में जानकारी देंगे। और उम्मीद करते हैं कि इस लेख के बाद आपको DSC से संबंधित कोई समस्या उत्पन्न न हो।

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Digital signature Vs Paper Signature.

DSC का पूरा नाम क्या हैं?

हिंदीडिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र
EnglishDigital Signature Certificate
dsc ka pura naam

डिजिटल हस्ताक्षर क्या होता हैं?

यह एक तरह से आपके हस्ताक्षर हैं। जो किसी कागज पर न होकर इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ऑनलाइन किया जाता हैं। जो यह सुनिश्चित करता हैं। कि आपका प्रमाणीकरण सफलतापूर्वक संपन्न हो जाए। यह इंटरनेट के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने में सक्षम होते हैं। अर्थात डिजिटल हस्ताक्षर किसी व्यक्ति, संस्था या संगठन की पहचान को प्रमाणित करता हैं।

डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र (DSC) क्या होता हैं?

एक Digital Signature Certificate एक सुरक्षित डिजिटल कुंजी है जो प्रमाण पत्र प्राधिकरण द्वारा इस प्रमाणपत्र को धारण करने वाले व्यक्ति की पहचान को प्रमाणित करने और प्रमाणित करने के उद्देश्य से जारी की जाती है।

डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र किसी व्यक्ति की पहचान हैं। जो किसी क्षेत्र में उस व्यक्ति को सत्यापित करने के लिए बनाया जाता हैं। यह इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में होता हैं। जो व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा और प्रामाणिकता को सुनिश्चित करता हैं।

डिजिटल हस्ताक्षर एक गणितीय तकनीक है जो ऑनलाइन भेजें जाने वाले दस्तावेज की सत्यता की पुष्टि करता है कि यह दस्तावेज हस्ताक्षरकर्ता द्वारा देखकर भेजा गया हैं जिसमे कोई बदलाव नहीं हुआ हैं।

इन्हे डिजिटल की दुनिया में कार्य को तेजी से करने के लिए उपयोग होने वाली प्रमाणों की पुष्टि के लिए बनाया जाता हैं। यह प्रमाणपत्र आपके हस्ताक्षर को डिजिटल दुनिया के लिए मान्यता देता हैं।

जिसे आप किसी भी जगह से अपने आप को उस जगह पर उपस्थित हुए बिना सत्यापित कर सकते हैं। यह पेन ड्राइव के जैसे दिखने वाला एक USB टोकन होता हैं। जिसमे किसी की व्यक्तिगत जानकारी होती हैं। जिसे DSC कहा जाता हैं।

इसलिए इसे एक डिजिटल चाबी कहा जा सकता हैं। जिसके अंदर किसी व्यक्ति के स्वामित्व से संबंधित जानकारी दी होती हैं। जो किसी क्षेत्र को उसके स्वामित्व को प्रमाणित करने में मदद करती हैं।

उदाहरण के लिए आप दिल्ली में रहते हैं और आपको मुंबई में किसी कार्य को करने के लिए आपके हस्ताक्षर करने हैं। किंतु आप को ऐसा करने से एक दिन बर्बाद हो जाता हैं लेकिन डीएससी के माध्यम से आप दिल्ली से मुंबई में ऑनलाइन डिजिटल हस्ताक्षर कर सकते हैं।

आसान शब्दों में कहा जाए तो डीएससी किसी व्यक्ति की निजी जानकारी का एक प्रारूप हैं। जैसे मतदाता पहचान पत्र, स्थायी खाता संख्या वैसे DSC।

डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र जरूरी क्यों हैं?

आज दुनिया डिजिटल हो रही हैं। जिससे व्यापारी वर्ग का समय कीमती होता हैं। वही दूसरी ओर भौतिक हस्ताक्षर की स्थिति में धोखाधड़ी के मामले होते हैं। इसलिए समय की बचत और व्यापारी के सत्यापन की सुरक्षा को लेकर डीएससी की आवश्यकता महसूस हुई।

आजकल सरकारी कार्यों में भी काफी क्षेत्र में डीएससी को अनिवार्य रूप से लागू किया गया हैं। जिससे कार्य में तेजी आ सके और उसके स्वामित्व की प्रामाणिकता को लेकर समस्या उत्पन्न न हो। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय सुरक्षा और लेनदेन के लिए कई प्रमाण पत्र जारी करता हैं। जिनमे से डीएससी भी एक प्रमाण पत्र हैं।

डीएससी में क्या होता हैं?

डीएससी में किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी होती हैं। जिसमे उस व्यक्ति का नाम, पता, ईमेल पता, फोन नंबर, जीएसटी नंबर, जारी करने की तिथि और जारी करने वाले का नाम होता हैं।

डीएससी का उपयोग कोन कर सकते हैं?

डीएससी का उपयोग कोई व्यक्ति, संस्था या संगठन कर सकते हैं। जिस में गैर सरकारी और सरकारी दोनो शामिल हैं।

डीएससी कोन जारी करता हैं?

डीएससी को लाइसेंस प्राप्त अधिकारी जारी कर सकते हैं। डीएससी जारी करने के लिए लाइसेंस कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा दिया जाता हैं। जो डीएससी का संचालन करती हैं। यह लाइसेंस प्राप्त अधिकारी सनदी लेखाकार या कंपनी सचिव या कोई और भी हो सकता हैं।

यह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के धारा 24 में हैं। और सभी लाइसेंस प्राप्त अधिकारी की जानकारी CCA पर मिल जाती हैं। जो प्रमाणित प्राधिकारी के नियंत्रक होते हैं। तो आपको यह जानने में आसानी होगी कि आपको डीएससी देने वाला अधिकारी अधिकृत हैं या नहीं।

www.cca.gov.in

इसके अलावा कुछ वेबसाइट पर भी आप डीएससी बना सकते हैं। जो सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा संचालित कुछ निजी संस्थान हैं जो डीएससी जारी करने में सरकार की मदद करते हैं और डीएससी के स्वामी से उसका शुल्क लेते हैं। यह निजी संस्थान निम्न हैं

E-mudra=www.emudhra.com/
Pentasign=https://www.pantasign.com/
Sify=www.safescrypt.com/
Myesign=myesign.in

इसके अलावा कई वेबसाइट हैं। जो आपको कम शुल्क पर डीएससी प्राप्त करने में मदद करते हैं। जिसमे एक जैन अकाउंट भी शामिल हैं। आप डीएससी प्राप्त करने में हमारी मदद ले सकते हैं।

भारत में डीएससी कौन स्वीकार करता है?

भारत में डीएससी का उपयोग रिटर्न भरने, सरकारी कार्यों और गतिविधियों में शामिल होने के लिए किया जाता हैं। इसे मुख्यतः RoC, DGFT, MCA और CBDT स्वीकृत करती हैं जो लेखांकन और कराधान के लिए महत्त्वपूर्ण विभाग हैं।

डीएससी के प्रकार कितने होते हैं?

डीएससी को अलग अलग कार्यक्षमता और सुरक्षा के आधार पर तीन भागों में विभाजित किया गया हैं। यह किसी क्षेत्र की इकाई के प्रकार और आवश्यकता पर आधारित होते हैं। प्रमाणन प्राधिकरणों द्वारा जारी किए गए तीन प्रकार के डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाण पत्र हैं।

क्लास 1

यह डीएससी सामान्य रूप से कम सुरक्षित होता हैं। यह व्यक्तिगत या निजी ग्राहकों को दिया जाता हैं जो किसी व्यक्ति या व्यापार को प्रमाणित करने के लिए उपयोग किया जाता हैं। यह व्यक्ति और व्यापार को एक दूसरे के प्रति विश्वास दिलाता हैं। इसका महत्त्व अधिक प्रभावी नहीं हैं। इसमें व्यक्ति या व्यापार का नाम और ईमेल पता दर्ज किया जाता हैं।

क्लास 2

यह क्लास 1 के समान होता हैं। यह व्यक्ति के साथ सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं को भी दिया जाता हैं। यह क्लास 1 से अधिक सुरक्षित होता हैं। इसका उपयोग लेन देन पर नजर रखने या किसी की व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता हैं। ताकि नकारात्मक गतिविधियों को समाप्त किया जा सके। भारत में कई सरकारी संगठनों में इसका उपयोग किया जाता हैं। हालांकि 1 जनवरी 2021 से यह डीएससी उपयोग में आने बंद हो गए हैं

क्लास 3

क्लास 2 का नया अवतार क्लास 3 हैं। इसमें उन व्यक्तियों या संस्थाओं को शामिल किया गया हैं। जो ऑनलाइन सरकारी और गैर सरकारी निविदाओं का आवेदन करते हैं या नीलामी में बोली लगाते हैं। इसको प्राप्त करने के लिए कभी कभी लाइसेंस प्राप्त अधिकारी के सामने भौतिक रूप से उपस्थित होना आवश्यक होता हैं। यह पर्यावरण के लिए अधिक उपयोगी हैं। और डेटा चोरी, धोखाधड़ी या हैकिंग से सुरक्षित हैं।

DSC कैसे बनाते हैं?

  • डीएससी आवेदन करने के लिए सबसे पहले लाइसेंस प्राप्त अधिकृत वेबसाइट पर जाएं।
  • इसके बाद डीएससी विकल्प को चुनें।
  • फिर आवेदन पर क्लिक करें।
  • फिर उपयुक्त जानकारी भरें।
  • उसके बाद स्वयं को प्रमाणित करें। इसके लिए SMS और VIDEO प्रक्रिया का उपयोग किया जाता हैं।
  • उसके बाद भुगतान करें।
  • आपका डीएससी तैयार हो जाता हैं।
  • इसे आप टोकन में संग्रहित कर सकते हैं।

DSC कैसे काम करता हैं?

यह संगणक कलन विधि पर कार्य करता हैं। डीएससी को अधिक प्रभावी और सुरक्षित करने के लिए PKI तंत्र का उपयोग किया जाता हैं। PKI तंत्र में दो कुंजी उपस्थित होती हैं।

एक निजी कुंजी और एक सार्वजनिक कुंजी। निजी कुंजी को encrypt format में स्वामित्व के पास रखा जाता हैं। जब वह अपने स्वामित्व को प्रमाणित करने के लिए निजी कुंजी को आगे भेजता हैं। तब सूचना विनिमय के दौरान निजी कुंजी को decrypt करने के लिए प्राप्तकर्ता सार्वजनिक कुंजी का उपयोग करके उसको प्रमाणित करता हैं।

अर्थात जब हस्ताक्षरकर्ता निजी कुंजी का उपयोग करता हैं। तब एक कोड उत्पन्न होता हैं। जिसे सार्वजनिक कुंजी द्वारा पढ़कर सुनिश्चित किया जाता हैं कि यह सही हैं।

यह निजी कुंजी को टोकन के द्वारा प्राप्त किया जा सकता हैं। जिसे कंप्यूटर पर पासवर्ड के साथ संबंधित वेबसाइट पर कनेक्ट किया जा सकता हैं। और वेबसाइट पर पहले से सार्वजनिक कुंजी उपलब्ध होती हैं जो इसको प्रमाणित करती हैं।

इस तरह किसी भी जानकारी का आदान प्रदान करने में दोनो कुंजी शामिल होती हैं। अगर एक कुंजी में भी नकारात्मक गतिविधियों का उपयोग होता हैं तो दूसरी कुंजी इस प्रक्रिया को विफल कर देती हैं।

डीएससी बनाने के लिए कोनसे दस्तावेजों की आवश्यकता होती हैं?

भारत में रहने वाले लोगों के लिए व्यक्तिगत या व्यापारिक डीएससी में उपयोग होने वाले दस्तावेज

  • पहचान प्रमाण पत्र – सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त
  • पता प्रमाण पत्र – सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त।
  • संपर्क विवरण – फोन नंबर, ईमेल पता इत्यादि।

भारत में रहने वाले लोगों के द्वारा संचालित संस्थानों के लिए उपयोग होने वाले दस्तावेज

  • सरकार द्वारा जारी संस्थान का पहचान पत्र – PAN CARD।
  • यदि संस्थान सांझेदारी में हैं तो उनके मध्य किया गया समझौता।
  • संस्थान में जितने भागीदार या मालिक हैं उन सभी की सूची।
  • संस्थान के मुख्य सदस्य द्वारा जारी मंडल प्रस्ताव।
  • अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता के पहचान पत्र।
  • संस्थान का जीएसटी प्रमाण पत्र।

यह दस्तावेज संस्थानों के प्रकार या कार्यशैली के आधार पर तय हो सकते हैं। और यह अलग अलग भी हो सकते हैं।

विदेशी व्यक्तियों द्वारा संचालित संस्थानों के लिए उपयोग होने वाले दस्तावेज

  • क्लास 2 के लिए आवश्यक दस्तावेज
  • पासपोर्ट और वीजा (यदि अपने मूल देश से बाहर हैं)
  • निवासी परमिट प्रमाणपत्र (यदि भारत में हैं)
  • पता प्रमाण पत्र (सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त)

डिजिटल हस्ताक्षर बनाम पेपर हस्ताक्षर

डिजिटल हस्ताक्षर अधिक सुरक्षित होता हैं और कई से भी किया जा सकता हैं। लेकिन पेपर हस्ताक्षर के लिए आप को किसी स्थान पर उपस्थित होना या हस्ताक्षरित दस्तावेज को उस स्थान पर पहुंचाना होता हैं। और असुरक्षित भी होता हैं।

क्योंकि पेपर हस्ताक्षर को किसी के द्वारा कॉपी करके धोखा दिया जा सकता हैं लेकिन डिजिटल हस्ताक्षर में यह संभव नहीं होता हैं। Encrypt code होने के कारण इसे किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उपयोग करना असंभव हैं।

निष्कर्ष

इस लेख में आपने डिजिटल हस्ताक्षर और उसके प्रमाण पत्र के बारे में जानकारी प्राप्त की। हमने देखा कि हमे डीएससी की आवश्यकता क्यों होती हैं और इसे कहा से लिया जाता हैं।

डीएससी को कोन जारी करता हैं? और उसे कहा से जारी किया जाता हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं? और इसके लिए क्या दस्तावेज की जरूरत पड़ती हैं? इन सभी तथ्यों को हमने विस्तार से बताया हैं।

इस लेख से संबंधित आपका कोई सवाल या राय हो तो टिप्पणी अवश्य करें। हम आपकी हर समस्या का समाधान करने की कोशिश करेंगे।

व्यापार, वित्तीय, लेखांकन और कराधान संबंधित जानकारी दी करने के लिए आप हमारा अनुसरण करें। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो अपने मित्रों और रिश्तेदारों से सांझा अवश्य करें।

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